धन्वंतरी आयुर्वेदिक क्लिनिक

प्राणायाम

योग के बाद प्राणायाम हमारे स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम औषधी है। यदि आप योग नहीं कर सकते और केवल प्राणायाम ही करेंगे तब भी आप स्वस्थ रहेंगे। और प्राणायाम से आप केवल निरोगी जीवन नहीं बल्कि सुंदरता भी पाएंगे। तो आइए यहाँ हम समझते है प्राणायाम क्या है, उसे कैसे किया जाता है आदि।

प्राणायाम की परिभाषा क्या है ?

प्राणस्य आयाम इति प्राणायाम
हमें आयाम पर नियंत्रण प्राप्त करना है मतलब ही प्राण पर नियंत्रण प्राप्त करना होता है। लेकिन प्राण पर नियंत्रण क्यों प्राप्त करना चाहिए इसे हम आसान भाषा में समझते है।
हमारे शरीर के दो हिस्से है। एक बाहर का और एक अंदर का। शरीर का बाहरी हिस्सा शरीर के अंदर के हिस्सेपर या

अंगोपर निर्भर होता है। उदाहरणार्थ यदि आपके रक्त में दोष है तो आपको विभिन्न त्वचा की बिमारीयों का सामना करना पडता है। अर्थात हमारा इस हिस्सेपर नियंत्रण नहीं है। शरीर के अंदर के अंग यदि हम सही रखना चाहते है तो हमें आहार नियमन और पथ्य्यो का पालन करना पडेगा। जो कई बार परिस्थितीवश मुमकिन नहीं होता। मतलब ही हम शरीर के अंदर के अंगो पर भी नियंत्रण पाने में असमर्थ है।

अब बचता है श्वास जो शरीर के अंदर और बाहर दोनो जगह है। और जिसका शरीर के अंदर बाहर आना-जाना लगा रहता है। और जिसका विहार संपूर्ण शरीर में होता है। साथ ही यह गति से संबंधित है। इसलिए केवल श्वास ही एक ऐसी चीज है जिसपर हम नियंत्रण प्रस्थापित कर सकते है। और जब श्वास पर नियंत्रण पा लेते है तो संपूर्ण शरीर के अंदर और बाहर ऐसे दोनो अंगो पर नियंत्रण स्थापित हो जाता है। केवल शरीर ही नहीं बल्कि इससे मन पर भी नियंत्रण प्रस्थापित होता है। क्यों कि योग में प्राण को मन का बडा भाई माना गया है। और इसिलिए मन, इन्द्रियों व प्राण इन सभी में प्राण सबसे श्रेष्ठ है।

प्राणायाम के भाग
प्राणायाम के तीन मुख्य भाग है,

रेचक – श्वास निकालना

पूरक – श्वास भरना

कुंभक – श्वास रोखना (कुंभक के दो उपप्रकार है – आंतरिक कुंभक और बाह्य कुंभक) आंतरिक कुंभक – श्वास को भरने के बाद अंदर की ओर श्वास को रोखकर रखना बाह्य कुंभक – श्वास को छोडने के बाद बाहर की ओर श्वास को रोखना अर्थात श्वास ना लेना

प्राणायाम करने के नियम
अर्थात प्राणायाम कब करे और कब ना करे प्राणायाम का अभ्यास शुद्ध और खुली हवा में ही करे, धूल, दुर्गंधी वाली जगह पर ना करे। बहुत तेज हवा में भी प्राणायाम का अभ्यास नहीं करना चाहिए
खाना खाने के बाद में चार घंटो से प्राणायाम करे, या भोजन के आधे घंटे पूर्व प्राणायाम का अभ्यास करना चाहिए प्राणायाम का अभ्यास धीरे-धीरे बढाना चाहिए
प्राणायाम करते वक्त कपडे मौसम के अनुसार हो और वो बहुत ज्यादा टाइट ना हो प्राणायाम करने का सबसे अच्छा समय सुबह के वक्त का माना जाता है। किंतु सर्दियों के दिनों में आप दोपहर या सायंकाल में भी प्राणायाम का अभ्यास कर सकते है।
प्राणायाम या तो नहाकर करे या प्राणायाम करने के बाद आधे घंटे तक स्नान ना करे प्राणायाम के जल्दि लाभ पाने के लिए इसके अभ्यास में निरंतरता रखे, हररोज एक समय निर्धारित करे।

साथ ही पद्मासन में बैठकर प्राणायाम करने से इसके जल्दि लाभ मिलते है। प्राणायाम शुरु करने से पूर्व श्वास भरना सीखे।

गहरा-लंबा श्वास इसके लिए आपको धीरे-धीरे श्वास भरना है वो पहले पेट के सबसे निचले हिस्से में फिर पेट के मध्य में पेट के उपर का हिस्सा फिर छाती और अंत में गले तक इस तरह धीरे-धीरे श्वास को भरे और इसके ही उलटे क्रम में इसे बाहर निकाले। गहरा लंबा श्वास भरना प्राणायाम का आधार है। इसलिए प्रथम इसीको सिखना चाहिए

प्राणायाम के प्रकार
वैसे तो प्राणायाम के कई प्रकार है, किंतू यहां हम सामान्य प्रकार बताएंगे जो एक आम इनसान को आसानी से करना मुमकिन होता है।
अनुलोम-विलोम, चंद्रभेदी, सूर्यभेदी, अग्निसार, कपालभाति, भस्त्रिका, भ्रामरी, शीतली, सित्कारी, नाडी शोधन प्राणायाम, यह प्राणायाम के कुछ मुख्य प्रकार है। जो सामान्य इंसान सरलता से सीख सकता है और उसको नियमित रूप से कर सकता है।
सभी प्राणायाम के अपने-अपने अलग-अलग फायदे होते है। प्राणों का सीधा संबंध शरीर के सप्तचक्रो से होता है। इसलिए प्राणायाम से हम इन सभी सप्तचक्रो को जान सकते है। साथ ही प्राणायाम से हम अनेक प्रकार के शारीरिक और मानसिक बिमारीयों को ठीक कर सकते है।