पर्वत माला से लेकर तो हिंद महासागर तक फैले हुए इस विशाल भूभाग पर हजारो महान ऋषिमुनियों के हजारो वर्ष के गहरे चिंतन और मंथन से निर्मित योग एक अतिविशाल महासागर है। जिसे हम जितना भी सिखेंगे उतना कम ही होगा। किंतु योग का ज्ञान आसान भाषा में ग्रंथ के रुप में बांधनेवाले ‘महान तपस्वी पतंजली मुनी के ‘पतंजली योगशास्त्र’ से हम योग को आसानी से समझ सकते हैं। तो आइये जानते है योग क्या है? योग का हमारे जीवन में क्या महत्व है? और योग के जरिए हम किस तरह अपने जीवन को निरोगी-आनंदी बना सकते है।
योग की परिभाषा
‘योग’ की सबसे आसान परिभाषा है ‘जोडना या जुडना’ मतलब शरीर को मन से जोडना मन को चेतना से जोडना चेतना को आत्मा से जोडना और आत्मा को परमात्मा से जोडना।
इसे अन्य शब्दों में कहा जाए तो, ‘’आत्मा परमात्मा का अंश है, इसको अनुभूत करना योग है। अपने को दुसरे में और दूसरे को अपने में देखना, भिन्नता में अभिन्नता का अनुभव करना, मै शरीर नहीं, मन नहीं, बुद्धि नहीं, अपितु प्राणिमात्र में कार्य कर रही उस महान शक्ति का एक अंश हूँ, जो जल में थल में वायु में प्रत्येक प्राणी का पालन एवं संरक्षण करती है- इस गहराई तक पहुँचना ही योग है।‘‘
- भारतीय योग संस्थान
आज योग की आवश्यकता:
हमारी व्यस्त और तेज रफ्तार जीवन शैली के कारण हमें आज पहले से भी ज्यादा योग की आवश्यकता है। न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक बीमारियों से पीडित हमारे समाज का उद्धार केवल योग कर सकता है। जो मांगोगे वो पाओगे यह क्षमता केवल योग के द्वारा ही प्राप्त की जा सकती है। केवल योग के जरिये ही वह शक्ति हमें प्राप्त होती है।
यदि आप चाहते हैं – आपका शरीर एकदम तंदरुस्त और सुडौल (फिगर) रहे तो योग की आवश्यकता है। यदि जीवन को सुखी प्रसन्न बनाना चाहते हो, आप जो काम करते हो उसमें उत्कृष्टता प्राप्त करनी हो, शरीर और मन की शुद्धी, कुशाग्र बुद्धि, महान विचारों में वृद्धि हो, आर्थिक रुप से सधन बनना चाहते हो, तो आप इसे योग के जरिए बडी ही आसानी से पा सकते हो।
योग से हमें क्या मिलता है?
योग से हमारे शरीर में अनुशासन आता है। उत्साह बढता है। व्यावहारिक कुशलता बढती है, योग आलसी को क्रियाशील बनाता है, क्रियाशील व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र में अव्वलता प्राप्त करता है। जिससे आप अपने लक्ष को आसानी से प्राप्त कर लेते हो। योग आपको तन-मन-धन से स्वस्थ, सुंदर और समृद्ध बनाता है।
योग के अंग
महर्षि पतंजली के अनुसार योग के आठ अंग है
यम – समाज के उद्धार के लिए
नियम – अपने व्यवहार को अच्छा बनाने के लिए
आसन – शरीर को स्वस्थ एवम् सुडौल बनाने के लिए (आज की आसान भाषा में कहा जाए तो अच्छा फिगर बनाने के लिए)
प्राणायाम – मानसिक विकार को दूर करने के लिए (विस्तार से जानने के लिए क्लिक करे)
प्रत्याहार – इन्द्रियों को अन्तर्मुखी बनाने के लिए है। (जहाँ पश्चिमी मनोविज्ञान इन्द्रियों को दमन करने का सिद्धांत स्थापित करती है जो कई मानसिक और शारीरिक बीमारीयों की जड है, वहाँ भारतीय योग प्रत्याहार के जरिए इन्द्रियों पर विजय प्राप्त करने की सीख देता है जो सिर्फ बीमारीयां ही दूर नहीं करता बल्कि भविष्य में रोग के उत्पन्न के कारण को ही नष्ट कर देता है)
धारणा – एकाग्रता बढाने के लिए
ध्यान – चित्त को शुद्ध करने के लिए
समाधी – यह योग का अंतिम अंग है जो हमें परम शांति का अनुभव कराती है।
(योग के केवल तीन अंग आसन, प्राणायाम और ध्यान के जरिए भी हम स्वास्थ्य, सुंदरता और समृद्धी पा सकते है)
योग के बारे में लोगों की गलतफेहमीयां
आज के भौतिकवाद के युग में योग को ठीक से समझ पाना बुद्धिमानों के लिए भी कठीण कार्य है। योग को लेकर आम तौर पर लोगों की यह गलत धारणाएं होती है
1. केवल फिगर बनाने के लिए योग किया जाता है
2. योग को करना बंद कर दे तो बाद में शरीर का फिगर तेजी से खराब हो जाता है
3. योगासन को ही संपूर्ण योग समझना
ऐसी कई प्रकार की गलत धारणाएं लोगो में योग को लेकर होती है। इस के लिए योग को सही तरीके से शिक्षित व्यक्ति से ही सीखना चाहिए।
करे योग रहे निरोग - इस पृष्ठ के अंत में मै यही कहना चाहूँगी कि योग को सही तरीके से गहराई से सीखे और तन-मन-धन से स्वस्थ सुंदर समृद्ध बनें।
सर्वे भवन्तु सुखिन:, ऊँ शांतिः शांतिः शांतिः